
- अखबार बांटकर गुजारा कर रहा है यह युवा दिव्यांग, पेंशन नहीं दिलवा पाए कोई जनप्रतिनिधि
- सिस्टम बदहवास होकर बना मूकदर्शक
- जन्म से दिव्यांग ओमप्रकाश बन गया है अखबार हॉकर
Khomendra @ Durg

दिव्यांग जनों को राहत पहुंचाने और उनके जीवन में सकारात्मक सुधार के साथ साथ आजीविका समेत तमाम तरह के योजनाओं का लाभ देने के लिए शासन के समाज कल्याण विभाग द्वारा कई योजनाएं संचालित की जा रही है।
लेकिन इसका लाभ पहुंचाने के लिए दिव्यांग को खुद घसीट कर पैरों के सहारे तो किसी को खुद के हाथ के सहारे चलकर विभाग के चक्कर लगाने होते हैं।
ग्रामीण स्तर पर पंचायत स्तर पर अलग पंचायती हो रही है।
डायरेक्ट बेनिफिट के तहत मिलने वाले सामाजिक सुरक्षा पेंशन से कई वंचित शोषित वर्ग के लोगों को मिलने वाले चंद रुपए भी वाजिब और हकदार लोगों को नही मिल पा रहा है।
राहत पहुंचाने वाली योजनाओं से धरातल पर किस प्रकार से दिव्यांगों को बेहतर सुविधाएं मिल रही हैं इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि जन्म से दिव्यांग ग्राम अंजोरा निवासी इस ओमप्रकाश (उम्र 22 वर्ष)को आज तक पेंशन नहीं मिल पाया।दिव्यांग सरकारी कार्यालयों के चक्कर काट रहा है। लेकिन उसकी समस्या का निराकरण नहीं हो पा रहा है।
अंजोरा निवासी ओमप्रकाश निषाद हाथ और पैर से दिव्यांग हैं। युवक ओमप्रकाश कहता है कि पेंशन के नाम से अंजोरा पंचायत के सरपंच व सचिव को अर्जी देने के नाम से कई बार चक्कर लगाते रहे है, मगर पेंशन के नाम से आश्वासन ही हाथ आया। कुछ माह पहले तत्कालीन मंत्री ताम्रध्वज से भी अर्जी लगाई लेकिन किसी जनप्रतिनिधि के न दिल पसीजे न कोई अधिकारी कलम चला पाया। उसने यह भी बताया कि मुझे कई सरकारी योजनाओं के बारे में नहीं पता है जिसमें ट्राई साइकिल से लेकर अन्य सुविधाएं मिलती है।
जिसके चलते दिव्यांग मात्र पेंशन के लिए दर दर भटक रहा है, सुबह एक न्यूज एजेंसी में अखबार बांट कर अपना जेब खर्च चला रहा है।

Author: mirchilaal
