
अंडा। भिलाई इस्पात संयंत्र के निगमित सामाजिक उतरदायित्व विभाग द्वारा छत्तीसगढ़ विकास बोर्ड के सहयोग से महिला सशक्तिकरण तथा नारी को आत्मनिर्भर बनाने के लिये ग्राम अंडा में त्रैमासिक जूट शिल्प प्रशिक्षण शिविर ग्रामीण महिलाओं को सशक्तिकरण के लिए जूट शिल्प डिजाइन व तकनीकी कार्यशाला का आयोजन ग्राम अंडा मे किया जा रहा है । यह कार्यशाला तीन माह तक चलेगी। कार्यशाला में 30 महिलाओं को जूट से बने उत्पादों बनाने का प्रशिक्षिका भानुमति बघेल द्वारा तीन महीने तक प्रषिक्षण दिया जाएगा। कार्यशाला में स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के उद्देश्य से गांव की 30 महिलाओं को प्रशिक्षण दिया जाएगा। तीन महीने की अवधि तक 3 हजार रुपये मासिक स्टाइपेड भी दिया जाएगा। आगे बताया की राष्ट्रीय जूट बोर्ड जूट उत्पादों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए कई कार्यक्रम शुरू किए हैं।कार्यशाला के तहत महिलाओं को जूट से उत्पाद बनाने सिखाए जा रहे हैं। महिलाओं को जूट से बने बैग, शो पीस, चटाई, डोरमेट, बुक शोल्डर सहित अन्य चीजें बनाना सिखाया जा रहा है। इस अवसर पर प्रशिक्षकों ने बताया कि घर की जूट से साज सज्जा के सामान बनाने में इस्तेमाल किया जा सकता हैं।शुरू में जूट का प्रयोग सिर्फ रस्सी के रूप किया जाता था। लेकिन नई तकनीकों से इसके प्रयोग में चैंज हुए और इसे कपड़े और कालीनों के रूप में बुना जाने लगा हैं। इसका प्रयोग पैकेजिंग और थैलों के रूप में भी कर सकते हैं।से आम उपयोग है। पॉलिथीन और कागज के बैग से ज्यादा फायदेमंद होता है जूट बैग क्योंकि यह पॉलिथीन और कागज के बैग की तुलना में बहुत अधिक वजन ले जा सकता हैं।


Author: mirchilaal
