पाटन जनपद सदस्य खिलेश बबलू मारकंडे ने कहा कि छत्तीसगढ में राजनीतिक हठधर्मिता का खामियाजा किसान भुगत रहे है। गाँव गाँव में गौठान निर्मित है लेकिन छत्तीसगढ की भाजपा सरकार गौठानो को सिर्फ इसलिए नहीं खोल रही है क्योंकि पुर्ववर्ती भुपेश सरकार ने इसका निर्माण कराया था और इसको दुबारा खोलने से उसे राजनीतिक फायदा होगा।


प्रदेश के भूपेश सरकार ने पशुओं के सुरक्षित रहवास और फसलों को चराई से बचाने के लिए करोड़ों खर्च कर जिले में 306 गौठान बनाए गए हैं। इन गौठानों में मवेशियों के रखरखाव से लेकर सुरक्षा तक की तमाम सुविधाएं मौजूद हैं। इसके बाद भी इनमें ताले लटके हुए हैं। इसके हठधर्मिता के चलते लाखो मवेशीयो का घर सड़क और किसानों के खेत बने हुए है। घुमन्तु पशु फसलों को नुकसान पहुँचा रहे है ।सड़कों पर घूम रहे हैं, बल्कि लोगों को फसल चराई और सड़कों में दुर्घटना के रूप में इसका खामियाजा भुगतान पड़ रहा है। लेकिन सात महीने सरकार में बैठने के बाद कोई कार्ययोजना किसानों के लिए नहीं बनाया गया है बल्कि किसानों को उनकी हालातो पर ही छोड़ दिया गया है। लगता है सरकार को बदलने के लिए नाम नहीं मिल रहा है जैसे भुपेश बघेल सरकार के द्वारा बनाये गये सड़कों पर अपना फोटो लगवाने के लिए बहुत समय है लेकिन किसानों के इस बड़ी समस्या को हल करने के लिए समय नहीं है। भुपेश सरकार ने छत्तीसगढ़ में गौपालन को आर्थिक रूप से सबंल करने व घुमंन्तु पशुओं से फसल को बचाने के लिए गौठान योजना की शुरुआत कर घुमन्तु पशु से राहत दिलाने का काम किया था लेकिन वर्तमान सरकार इस दिशा में अब कोई कार्य नहीं किया है अब धान के पौधे बढ़ने लगे है और अब अगर फसल चराई हो जाती है तो फसल वापस ग्रोथ करने वाला नहीं है ऐसे समय में भी उचित दिशा निर्देश सरकार के द्वारा अधिकारीयो को नहीं दे पाना किसानों के समझ से परे है ।किसान कहां गुहार लगाये समझ नहीं पा रहे है।

Author: mirchilaal
