March 25, 2025 7:39 pm

खदान संचालकों पर मेहरबान अफसर…. अनुमति के लिए आंगनबाड़ी और श्रमिक स्कूल की जानकारी छुपाई…. जनसुनवाई में आपत्ति के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं

पाटन. सेलूद क्षेत्र के ग्राम चुनकट्टा में नए खदान के लिए शुक्रवार को होने वाले जनसुनवाई से पहले, पूर्व में एक अन्य खदान की खनिज विभाग से स्वीकृति के लिए की गई कागजी कार्रवाई और जनसुनवाई की प्रक्रिया में बड़ी गड़बड़ी सामने आई है। बताया जा रहा है कि खदान की स्वीकृति की प्रक्रिया शुरू कराने के लिए खनिज और संबंधित विभाग के अफसरों अपने सर्वे रिपोर्ट में प्रतिबंधित क्षेत्र में स्थित आंगनबाड़ी केंद्र और शासकीय श्रमिक शाला की जानकारी छुपा ली। इतना ही नहीं जनसुनवाई में इसे लेकर आपत्ति दर्ज कराने पर जिला प्रशासन की ओर से शामिल अफसर ने इसकी जांच अथवा कोई भी कार्रवाई के बजाए खदान संचालक का गोलमोल जवाब लिखवाकर पर्यावरण संरक्षण मंडल को अभिमत भेज दिया। ग्रामीणों का आरोप है कि सर्वे में आंगनबाड़ी केंद्र और श्रमिक शाला की जानकारी दिखाए जाने अथवा जनसुनवाई में ग्रामीणों की आपत्ति पर जांच कराए जाने से खदान की स्वीकृति अटक सकता था, इसलिए खदान संचालक को लाभ पहुंचाने संबंधित अधिकारियों ने पूरे मामले को गोलमोल कर लिया।

सूचना का अधिकार के तहत मिले दस्तावेज के आधार पर चुनकट्टा के पूर्व पंच अजय सिंह राजपूत ने इसका खुलासा किया है। राजपूत ने बताया कि खदान स्वीकृति के प्रक्रिया के दौरान संबंधित स्थल से प्रतिबंधित क्षेत्र के लेकर 500 मीटर और 200 मीटर स्थित जनउपयोगी व सार्वजनिक उपयोग के स्थल, भवन, मंदिर, मस्जिद आदि की जानकारी के लिए सर्वे कराया जाता है। यह सर्वे खनिज व राजस्व विभाग की ओर अलग-अलग किया जाता है। इसी के आधार पर खदान स्वीकृति के संबंध में आशय पत्र तैयार किया जाता है। इसके बाद ही आगे की प्रक्रिया शुरू होती है। उक्त मामले में खनिज विभाग की ओर से खनिज निरीक्षक व पटवारी ने सर्वे रिपोर्ट तैयार किया है, लेकिन सर्वे रिपोर्ट प्रस्तावित क्षेत्र से सटे आंगनबाड़ी केंद्र और शासकीय श्रमिक शाला का इसमें जिक्र ही नहीं किया गया। बाद में इसी सर्वे रिपोर्ट के आधार पर खनिज विभाग द्वारा खदान स्वीकृति के संबंध में आशय पत्र जारी कर दिया गया और इसी आधार पर जनसुनवाई भी करा ली गई।

अब भी आंगनबाड़ी का हो रहा संचालन

पूर्व पंच राजपूत ने बताया कि जिस आंगनबाड़ी को सर्वे रिपोर्ट में छुपा लिया गया, उसका संचालन उसी स्थल पर अब भी किया जा रहा है। आंगनबाड़ी में नियमित रूप से बच्चे पहुंच रहे हैं और कक्षाएं भी संचालित की जा रही है। उन्होंने बताया कि जनसुनवाई में उन्होंने इसकी जानकारी देकर आपत्ति दर्ज कराई। इस पर कोई भी जांच या कार्रवाई नहीं की गई। ऐसे में जनसुनवाई का कोई औचित्य नहीं रह जाता।

सिंचाई नहर को बताया बरसाती नाला

संबंधित विभाग के सर्वे रिपोर्ट में केवल आंगनबाड़ी और श्रमिक स्कूल की जानकारी ही नहीं छुपाई गई, बल्कि पास से गुजरने वाले सिंचाई नगर को अफसरों ने रिपोर्ट में बरसाती नाला बता दिया, जबकि पटवारी के अपने सर्वे रिपोर्ट में इसे स्पष्ट रूप से नहर नाली लिखा है। नहर से लगा हुआ ग्राम पंचायत का सीसी रोड भी है। ग्रामीणों का कहना है कि खदान से सीसी रोड को भी नुकसान होगा।

पंचायत की एनओसी से पहले प्रक्रिया

पूर्व पंच अजय सिंह राजपूत ने बताया कि मामले में खदान स्वीकृति की प्रक्रिया भी बेहद संदेहास्पद है। उन्होंने बताया कि खदान के लिए ग्राम पंचायत की एनओसी के करीब तीन साल पहले ही खनिज विभाग ने इसके लिए स्वीकृति की प्रक्रिया जारी कर दिया था। इसका बकायदा इस्तहार भी प्रकाशन करा लिया गया। जबकि पंचायत के बिना एनओसी की इसकी प्रक्रिया शुरू नहीं कराई जा सकती।

गलत जानकारी व रिपोर्ट अपराध

राजपूत ने बताया कि खदान स्वीकृति की पूरी प्रक्रिया और जनसुनवाई खनिज विभाग की गलत रिपोर्ट के आधार पर की गई है, इसलिए न सिर्फ पूरी प्रक्रिया बल्कि जनसुनवाई भी अवैध है। गलत सर्वे रिपोर्ट तैयार किया जाना भी अपराध की श्रेणी में आता है। जल्द इसकी शिकायत कर खदान स्वीकृति की प्रक्रिया निरस्त करने और दोषियों पर कार्रवाई की मांग की जाएगी। ऐसा नहीं किया गया तो न्यायालय में याचिका लगाई जाएगी।

आज जनसुनवाई, विरोध में ग्रामीण

इधर एक और खदान की स्वीकृति के लिए 30 अगस्त को चुनकट्टा में जनसुनवाई कराई जा रही है। बताया जा रहा है कि ग्रामीण इसके विरोध में लामबंद है और खदान नहीं खुलने देने के पक्ष में है। करीब 125 ग्रामीणों ने पूर्व में मामले को लेकर कलेक्टर जनदर्शन में भी शिकायत दर्ज कराई है। इस पर कलेक्टर की ओर से सभी आपत्तियों को लेकर जनसुनवाई में शिकायत और निराकरण की बात कही गई है। सूत्रों की माने तो खदान संचालक की ओर से ग्रामीणों को अपने पक्ष में करने लालच का सहारा लिया जा रहा है। बताया जा रहा है कि कथित तौर पर लेनदेन कर ग्रामीणों से सहमति पत्र लिया जा रहा है।

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Author: mirchilaal

Anil

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