बाबा रामदेव मंदिर गंजपारा के स्वर्ण जयंती महोत्सव के उपलक्ष्य पर इन दिनों बाबा रामदेव की संगीतमय कथा के जीवंत झांकी का दौर चल रहा है। कोलकाता से आए कलाकार कथा के प्रसंगों के साथ बाबा रामदेव के जीवन लीला की झांकी प्रस्तुत कर रहे हैं। जिसका सभी समाज के धर्मप्रेमी एक साथ बैठकर कथा का आंनद ले रहे है और देर रात्रि तक बाबा के भजनों में झूम रहे है।


सोमवार की कथा में कथावाचक श्याम देव शास्त्री वृंदावन वाले ने बताया कि बाबा पीरों के पीर रामापीर, बाबाओं के बाबा रामदेव बाबा को सभी भक्त बाबारी कहते हैं। जहां भारत ने परमाणु विस्फोट किया था, वे वहां के शासक थे। मध्यकाल में जब अरब, तुर्क और ईरान के मुस्लिम शासकों द्वारा भारत में हिन्दुओं पर अत्याचार कर उनका धर्मांतरण किया जा रहा था, तो उस काल में हिन्दू-मुस्लिम एकता के लिए सैकड़ों चमत्कारिक सिद्ध, संतों और सूफी साधुओं का जन्म हुआ। उन्हीं में से एक हैं रामापीर। उन्होंने बताया कि बाबा रामदेव जी दलितों के मसीहा थे।

विदेशी आक्रांताओं से भी लिया लोहा
कथा में बताया गया कि बाबा रामदेव ने छुआछूत के खिलाफ कार्य कर दलित हिन्दुओं का पक्ष ही नहीं लिया बल्कि उन्होंने हिन्दू और मुस्लिमों के बीच एकता और भाईचारे को बढ़ाकर शांति से रहने की शिक्षा भी दी। बाबा रामदेव पोखरण के शासक भी रहे, लेकिन उन्होंने राजा बनकर नहीं अपितु जनसेवक बनकर गरीबों, दलितों, असाध्य रोगग्रस्त रोगियों व जरूरतमंदों की सेवा की। इस बीच उन्होंने विदेशी आक्रांताओं से लोहा भी लिया।
बाबा रामदेव ने दिखाए 24 चमत्कार
कथावाचक ने परचा का मतलब बताते हुए कहा कि बाबा रामदेव जी ने अपने जीवनकाल में लोगों की रक्षा और सेवा करने के लिए उनको कई चमत्कार दिखाए। आज भी बाबा अपनी समाधि पर साक्षात विराजमान हैं। आज भी वे अपने भक्तों को चमत्कार दिखाकर उनके होने का अहसास कराते रहते हैं। बाबा रामदेव जी द्वारा जो चमत्कार दिखाया गया उसे ही परचा देना कहते हैं। बाबा रामदेव जी ने 24 परचे दिए हैं।

Author: mirchilaal
