दुर्ग. पाटन के सेलूद क्षेत्र में पत्थर खदानों के संचालन व नए खदानों की मंजूरी के खिलाफ क्षेत्रवासियों का विरोध लगातार बढ़ता जा रहा है। ऐसे ही एक ताजा मामले में मुड़पार के ग्रामीणों की लामबंदी के बाद जिला प्रशासन को नए पत्थर खदान की पर्यावरणीय मंजूरी के लिए प्रस्तावित जनसुनवाई तमाम तैयारियों के बाद आनन-फानन में स्थगित करनी पड़ा। जनसुनवाई 25 अक्टूबर को प्रस्तावित था और खदान संचालक द्वारा इसकी पूरी तैयारी कर ली गई थी।


बता दें कि दो दिन पहले खदानों और परिवहन में लगे वाहनों के प्रदूषण और तेज रफ्तार से परेशान ग्रामीणों ने लामबंद होकर मोर्चा खोल लिया था। खनिज विभाग में शिकायतों के बाद भी कार्रवाई नहीं किए जाने से नाराज ग्रामीणों ने एकराय होकर परिवहन में लगे एक दर्जन ट्रकों को गांव में रोक लिया। इस दौरान ग्रामीणों ने ट्रक चालकों से खनिज परिवहन की रायल्टी पर्ची की मांग की, लेकिन किसी के पास भी रायल्टी पर्ची नहीं थी। इसके अलावा सभी ट्रकें ओवर लोड थी। अवैध खनिज परिवहन और ओवर लोडिंग की पुष्टि पर ग्रामीणों ने इसकी सूचना खनिज विभाग को दी, लेकिन दो घंटे बाद भी कोई भी जिम्मेदार अधिकारी नहीं पहुंचा। इससे ग्रामीण गुस्सा गए और रास्ता जाम कर दिया। बाद में ग्रामीणों ने अवैध खनिज परिवहन और ओवर लोडिंग की सूचना डायल 112 को दी। इस पर डायल 112 की टीम ने मौके पर पहुंचकर मोर्चा संभाली और ट्रकों को जब्त कर उतई थाने पहुंचाया। हालांकि बाद में थाने से गाड़ियों को छोड़ दिया गया।
स्कूली बच्चों के सामने गिरे पत्थर
बताया जा रहा है कि लापरवाहीपूर्वक चालन और ओवर लोड के कारण एक ट्रक से स्कूल जा रहे बच्चों के पास बड़ा पत्थर गिर गया। हालांकि इससे कोई नुकसान नहीं हुआ लेकिन यह गंभीर हादसे का कारण बन सकता था, इस घटना से ग्रामीण गुस्सा गए और यहीं ग्रामीणों की लामबंदी का कारण बना। ग्रामीणों ने ट्रकों को रोककर जांच पड़ताल शुरू की तो किसी के पास भी रायल्टी पर्ची नहीं मिली।
कलेक्टर के सामने दर्ज करा चुुके हैं विरोध
चुनकट्टा-मुड़पार इलाके में नए खदानों की मंजूरी को लेकर मुड़पार के ग्रामीण पहले ही कलेक्टर के सामने विरोध दर्ज करा चुके हैं। पखवाड़ेभर पहले ग्रामीण मोर्चा लेकर कलेक्टोरेट पहुंचे थे, यहां उन्होंने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर नए खदानों की मंजूरी का विरोध किया था। इसके अलावा ग्रामीणों ने चल रहे खदानों की जांच की भी मांग की थी। बताया जा रहा है कि विरोध के बाद भी पिछले साल एक खदान को मंजूरी दिए जाने से ग्रामीणों में जबरदस्त नाराजगी है।

Author: mirchilaal
