
प्रदेश में सरकार के बाद शहर सरकार में कब्जे की संभावना को देखते हुए भाजपा में दावेदारों की होड़ की स्थिति है। भाजपा के बड़े नेता भी शहर सरकार में अपने समर्थकों को बैठाकर राजनीतिक दखल को बढ़ाने की जुगत में लगे हैं। इस उपक्रम का असर भाजपा के प्रत्याशी चयन पर दिख रहा है।

हालात यह रहा कि अनुशासन का पर्याय मानी जानी वाली भाजपा को प्रत्याशी चयन के लिए एक नहीं बल्कि दो दिन बैठक कर कई घंटे मशक्कत करनी पड़ी। इस दौरान अपने प्रत्याशी को ज्यादा योग्य साबित करने नेताओं के बीच जमकर खींचतान और तनातनी चलने की भी खबर है। बताया जा रहा है कि कुछ नामों को लेकर जमकर विवाद भी हुआ, लेकिन अंतत: नामों की सूची फायनल कर लिया गया। इसके विपरीत प्रदेश में सत्ता गंवाने के बाद लगभग सदमे में चल रही कांग्रेस ने दावेदारों के नामों का पैनल बनाकर फैसला प्रदेश आलाकमान पर छोड़ दिया।
विधायक गजेंद्र की पसंद को प्राथमिकता
भाजपा के सूत्रों की मानें तो नगर निगम दुर्ग के पार्षद के पदों के लिए अधिकतर विधायक गजेंद्र यादव द्वारा प्रस्तावित नामों को तवज्जों मिली है। अधिकतर वार्डों में उनकी पसंद के केवल एक नाम शामिल है। शेष वार्डों में सत्ता और संगठन के नेताओं के बीच सहमति के लेकर गतिरोध रहा। संगठन के नेता काम करने वाले कार्यकर्ताओं पर जोर दे रहे थे। महापौर के पद के लिए सभी बड़े नेताओं के सुझाए नामों पर चर्चा के बाद पैनल बनाया गया है।
कांग्रेस में पूर्व विधायक के पसंद ने नाम ज्यादा
कांग्रेस में जिला स्तरीय कमेटी में सभी आवेदनों के आधार पर पैनल तैयार किया गया है। कमेटी में सभी नामों पर जीत सकने की क्षमता के आधार पर चर्चा की गई। इसी के आधार पर क्रम देकर पैनल तैयार किया गया। बताया जाता है कि पैनल में प्रथम प्राथमिकता में शामिल अधिकतर नाम पूर्व विधायक अरुण वोरा के पसंद के है। इसके अलावा पूर्व पार्षदों और अधिकतर पुराने एमआईसी मेंबरों के नाम शामिल है। महापौर के लिए भी सभी नामों को प्रदेश स्तर पर निर्णय के लिए भेज दिया गया है।

Author: mirchilaal
