
भाजपा ने दुर्ग नगर निगम के चुनाव में मतदान से पहले ही जीत का खाता खोलकर कांग्रेस को तगड़ा झटका दे दिया है। कांग्रेस ने कई दौर के मंथन के बाद ठोक-बजाकर जिस प्रत्याशी को वार्ड 21 से पार्षद के लिए चुनाव में उतारा, उसने नाम वापसी की प्रक्रिया शुरू होने के चंद मिनटों के भीतर ही अपना नामांकन वापस ले लिया। खास बात यह रही कि कांग्रेस की नेताओं को इसकी भनक तक नहीं लगी। ऐसे में सवाल यह है कि रणनीतिक रूप से कांगे्रेस की ऐसी कौन सी कमजोरी रही, जिसका फायदा उठाकर भाजपा नेताओं ने मुकाबले से पहले ही जीत छीन लिया।

दरअसल विधानसभा चुनाव में मिली करारी पराजय के बाद से कांग्रेस में बड़े नेताओं के लिए अस्तित्व संकट का दौर चल रहा है। खासकर दुर्ग में जहां विधानसभा का गड्ढा लोकसभा के चुनाव में खाई में तब्दील हो गया। ऐसे दौर में संगठन को मजबूत और एकजुट कर विरोधियों से संघर्ष की तैयारी के बजाए जिम्मेदार नेता अस्तित्व संकट के भय में अपनों को ही रास्ते से हटाने में लग गए। इससे कारवां छोटा होता चला गया और आत्ममुग्धता में डूबे नेता इसे ही अपनी जीत मानकर चलते रहे। परिणाम स्वरूप दूसरे क्रम के नेताओं और जमीनी कार्यकर्ताओं में घोर निराशा के रूप में सामने आ रहा है। यह स्थिति नगर निगम के प्रत्याशी चयन के दौर में स्पष्ट रूप से देखने को मिला। हालात यह रहा की वार्डों नए और संघर्षशील चेहरों का सवर्था अभाव रहा। कई वार्डों में दावेदारी तो दूर खोजने से भी प्रत्याशी नहीं मिलने की स्थिति रही। यही कहानी वार्ड 21 की भी रही। बताया जा रहा है कि यहां लंबी उपेक्षा से हतोत्साहित कोई भी कांग्रेस का नेता चुनाव लडऩे को तैयार नहीं था। जो तैयार थे वे बड़े नेताओं के अनुकूल (जो उनके इशारों पर चल सके) नहीं बैठ रहे थे। ऐसे में नामांकन के एक दिन पहले तक गोलमोल किया जाता रहा और ऐन मौके पर विश्वास के किसी भी पैमाने पर परखे बिना मान-मनौव्वल कर नए नवेले प्रत्याशी को मैदान में उतार दिया गया। कांग्रेस सूत्रों की मानें तो विरोधी प्रत्याशी से मुकाबले में टिक पाने को लेकर संदेह के बाद भी जिम्मेदार नेताओं ने न सिर्फ उक्त प्रत्याशी को उतारा बल्कि किसी डमी प्रत्याशी को उतारने पर भी ध्यान नहीं दिया। इतना ही नहीं नामांकन के बाद प्रत्याशी से किसी भी तरह का संपर्क भी नहीं रखा गया और उसे उसके हाल पर छोड़ दिया गया। लिहाजा विरोधी प्रत्याशी को अवसर मिल गया और संभवत: उन्होंने कांग्रेस के प्रत्याशी को पक्ष में कर लिया। हालांकि कांग्रेस के कुछ नेता इसे भाजपा की दोयम दर्ज की राजनीति करार देकर अपनी चूक पर पर्दा डालने का उपक्रम भी कर रहे हैं।

Author: mirchilaal
