
दुर्ग। नवरात्रि के पावन अवसर पर दुर्ग की केंद्रीय जेल पूरी तरह भक्तिमय हो गई है। मां दुर्गा की आराधना में लीन यहां के 166 पुरुष और 36 महिला बंदियों ने पूरे नौ दिनों का उपवास रखा है, जबकि 68 अन्य बंदियों ने पहले दिन, पंचमी और नवमी का उपवास किया। जेल परिसर में धार्मिक आयोजन किए जा रहे हैं, जहां जस गीतों की गूंज और प्रज्वलित ज्योत-जवारे से माहौल आध्यात्मिक ऊर्जा से भर गया है। धार्मिक आस्था का सम्मान, प्रशासन ने किए खास इंतजाम बंदियों की धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखते हुए जेल प्रशासन ने विशेष व्यवस्था की है।


उपवास रखने वाले बंदियों को पौष्टिक फलाहार उपलब्ध कराया जा रहा है, ताकि उनकी सेहत पर कोई प्रतिकूल प्रभाव न पड़े। जेल अधीक्षक मनीष संभाकर ने बताया कि उपवास करने वाले सभी बंदियों का मेडिकल चेकअप किया गया है। डॉक्टरों की टीम लगातार उनकी सेहत की निगरानी कर रही है और किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए पूरी तैयारी की गई है।

जेल में गूंज रहे भजन, आध्यात्मिकता से बदला माहौल नवरात्र के दौरान जेल परिसर में भक्ति की धारा बह रही है सुबह-शाम होने वाले जस गीतों में बंदी पूरे श्रद्धाभाव से हिस्सा ले रहे हैं। मां दुर्गा की पूजा-अर्चना के लिए जेल प्रशासन ने विशेष स्थान निर्धारित किया है, जहां बंदी भजन-कीर्तन में शामिल हो रहे हैं। पूजा के लिए सभी आवश्यक सामग्रियां उपलब्ध कराई गई हैं। सकारात्मकता और आत्मचिंतन को मिल रहा बढ़ावा इस आयोजन से जेल में सकारात्मक माहौल बना हुआ है और बंदियों में आध्यात्मिक जागरूकता बढ़ रही है। कई बंदियों ने कहा कि नवरात्रि का उपवास और भजन-कीर्तन उन्हें आत्मचिंतन करने और अपने भीतर सकारात्मक ऊर्जा लाने का अवसर प्रदान कर रहा है। जेल प्रशासन का मानना है कि इस तरह के धार्मिक आयोजन बंदियों को मानसिक और भावनात्मक रूप से मजबूत बनाते हैं।
बंदी सुधार की दिशा में सराहनीय पहल
विशेषज्ञों का मानना है कि धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियां सुधार प्रक्रिया में सहायक होती हैं। जेल में इस तरह के आयोजनों से बंदियों के आचरण में सुधार आने की संभावना बढ़ जाती है। जेल प्रशासन ने भी इसे सुधारात्मक प्रक्रिया का एक अहम हिस्सा माना है। नवरात्रि के इस आयोजन से जेल का वातावरण पूरी तरह बदल गया है। आध्यात्मिकता से ओत-प्रोत बंदियों का यह उत्साह दिखाता है कि धार्मिक आयोजनों के माध्यम से उनमें एक नई ऊर्जा और सकारात्मकता का संचार हो सकता है। जेल प्रशासन की यह पहल न केवल बंदियों के सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि यह उन्हें समाज में पुनः सम्मिलित करने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण प्रयास है।

Author: mirchilaal
