May 20, 2025 5:52 am

भाँचा राम के कहानी ,लक्ष्मण के जुबानी किताब का विमोचन और नवरत्न सम्मान का आयोजन

Durg. नवरात्रि रामनवमी के पावन अवसर पर युवा कवि डॉक्टर लक्ष्मण उमरे कौशिक की नई किताब ‘भाँचा राम के कहानी लक्ष्मण के जुबानी’ का विमोचन कुर्मी भवन, कसारीडीह, दुर्ग के भव्य समारोह में किया गया । इस समारोह की विशेषताएँ ये रहीं कि रामनवमी का दिन, 9 अतिथि, नवरत्न सम्मान, किताब में 135 पृष्ठ अर्थात 1,3 और 5 का जोड़ यानि 9 । यहाँ तक की मोमेंटो काव्य कलाकृति में भी 27 चिन्ह अर्थात 2 और 7 यानि 9। इस तरह का अनूठा नवाचारी आयोजन जन-चर्चा का विषय रहा।

मुख्य अतिथि कवि की गुरु माता डॉ. सरोज चक्रधर असिस्टेंट प्रोफेसर, शासकीय नवीन कन्या महाविद्यालय गोबरा नवापारा, जिला-रायपुर, अध्यक्षता राष्ट्रपति पुरस्कृत सेवानिवृत प्राचार्य एवं लोक साहित्यकार सीताराम साहू ‘श्याम’, विशिष्ट अतिथि तुलसी मानस प्रतिष्ठान के प्रदेश अध्यक्ष जगदीश देशमुख, सेवानिवृत्त संयुक्त कलेक्टर भगवती प्रसाद चक्रधर, भगवताचार्य एवं रचना साहित्य समिति गुरूर के संरक्षक मोहन चतुर्वेदी, प्रोफेसर रजनीश उमरे विज्ञान महाविद्यालय दुर्ग, सेन समाज के प्रमुख दिनेश उमरे, माता श्रीमती गीता चक्रधर रहे। पूजा अर्चना, अतिथि स्वागत के बाद कृतिकार उमरे ने अपनी काव्य यात्रा और पुस्तक के बारे में विस्तार से जानकारी दी, साथ ही साथ उन्होंने कहा कि आज मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा है जैसे कलयुग के इस लक्ष्मण को अपना आशीर्वाद देने के लिए साक्षात तीनों युग के देवता प्रत्यक्ष मंच पर उपस्थित हैं, जिसमें सतयुग के प्रतिनिधि के रूप मे गुरु माँ सरोज चक्रधर, बी. पी.चक्रधर, श्रीमती गीता चक्रधर और जगदीश देशमुख जी भगवान विष्णु के रूप मे मंच पर विराजमान हैं, साथ ही सीताराम साहू श्याम त्रेता युग के प्रतिनिधि के रूप में मंच पर आशीर्वाद प्रदान करने हेतु उपस्थित हैं एवं द्वापर युग के प्रतिनिधि के रूप में मोहन प्रसाद चतुर्वेदी साक्षात् श्रीकृष्ण के रूप में विराजमान हैं ।

लक्ष्मण उमरे ने रामनवमी और पुस्तक से जुड़े संयोग के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि राम कि कृपा के फलस्वरूप इस किताब का आई. एस. बी. एन. नंबर चैत्र मास के शुक्ल पक्ष के प्रथम दिवस नवरात्रि के प्रथम दिवस तारीख 09 अप्रैल 2024 को प्राप्त हुआ और किताब का प्रकाशन आश्विन शुक्ल पक्ष दुर्गा नवमी तारीख 11अक्टूबर को संपन्न हुआ था और साथ ही उन्होंने कहा कि सत्साहित्य लेखन-पठन, रामचरितमानस तथा अपने आज के अतिथि क्रम के मूर्धन्य साहित्यकारों के श्री मुख से यदा-कदा सुने हुए वक्तव्यों से मुझे प्रेरणा मिली और मैं लिखते चला गया । पश्चात अतिथि उद्बोधन के क्रम में डॉ. रजनीश उमरे ने कृति की काव्यगत विशेषताओं, भाव-पक्ष एवं कला-पक्ष पर प्रकाश डाला । मोहन चतुर्वेदी ने कवि के साहस, जीवटता और रामानुराग पर चर्चा कर आशीर्वाद दिया । सेवानिवृत्त संयुक्त कलेक्टर चक्रधर ने किताब की पंक्तियों को उद्धरित करते हुए छत्तीसगढ़ से भगवान राम के संबंधों का बखान करते हुए कहा कि कवि चाहता तो भगवान राम की कहानी लक्ष्मण की जुबानी शीर्षक दे सकता था पर भाँचा राम शीर्षक देकर राम के छत्तीसगढ़ के प्रति प्रेमानुराग तथा संस्कृति-परम्परा को व्यक्त किया ।समाज प्रमुख दिनेश उमरे ने इसे अपने समाज का गौरव बता कर आशीर्वाद प्रदान किया । जगदीश देशमुख ने बताया कि महान आत्माएँ गर्भ की तलाश करती हैं, इस दृष्टि से भगवान राम का छत्तीसगढ़ की बेटी कौशल्या के गर्भ का चयन करना छत्तीसगढ़ के लिए गर्व का विषय है। एक अभ्यर्थी द्वारा रामायण से शिक्षा लेकर आई.ए.एस. बनने की सच्ची घटना का जिक्र किया।

मुख्य अतिथि डॉक्टर सरोज चक्रधर ने अपने शिष्य कवि उमरे के जिज्ञासु भाव और रचनाधर्मिता की भूरी-भूरी प्रशंसा की, उन्होंने कहा कि जो समाज अपनी भाषा, बोली, साहित्य और संस्कृति से कट जाता है वह समृद्ध नहीं हो सकता है । हमें अपनी इन धरोहरों का सम्मान करना चाहिए एवं इनके संरक्षण संवर्द्धन के लिए सतत प्रयास करते रहना चाहिए । लक्ष्मण का यह कार्य भाषा, साहित्य और छत्तीसगढ़ की मधुर संस्कृति से जोड़ने का एक सुनहरा प्रयास है। उन्होंने धर्म और उससे जुड़ी कथाओं के निहितार्थ को आत्मसात करने पर बल दिया, जिससे आत्मशुद्धि हो सके एवं संपूर्ण वसुधा में समरसता का वास हो । अध्यक्षता कर रहे लोक साहित्यकार सीताराम साहू ने कहा कि कवि लक्ष्मण के हर कार्य, हर आयाम में नवाचार दिखता है । राम शब्द का र हिंदी व्यंजन क्रम का 27वाँ अक्षर है ,आ स्वर का दूसरा अक्षर है और म व्यंजन क्रम का 25वाँ अक्षर है, इस तरह 27 +2+25 = 54 अर्थात 5+4 = 9 मतलब रामनवमी । हर चीज में नएपन की तलाश कवि का ध्येय है। कवि की रचनाओं में गेयता है, जिसे गाकर सुनाया जा सकता है । यह किताब कवि की शोधात्मक वृत्ति का अनुपम साकार स्वरूप है।


आयोजन में नवरत्न सम्मान के क्रम में समाज सेवा नवरत्न सम्मान संस्था अथक दुर्ग को, साहित्य के क्षेत्र में अरुण निगम को, शिक्षा में डी. पी. साहू को, चिकित्सा में डॉ. संजीव कश्यप को , नारी-शक्ति में पत्रकार और चिंतक मेनका वर्मा को, कलाकार क्रम में चिनहारी सुरेगाँव की गायिका पूजा देशमुख को, मानस में प्रख्यात रामायनी राम राजेश साहू को, कृषि में रामेश्वर चंद्राकर और पर्यावरण नवरत्न सम्मान समाजसेवी केशव साहू को प्रदान किया गया। सेन रत्न सम्मान कला और साहित्य साधक बेनू राम सेन को, किताब के मुख्य पृष्ठ को अपनी तूलिका से सजाने वाली बेबी स्पृहा को विशेष व्यक्तित्व सम्मान और अपनी अभिप्रेरणा से लोगों में सकारात्मकता का भाव जगाने के लिए जोया खान को विशेष व्यक्तित्व सम्मान प्रदान किया गया ।

अरुण निगम ने कवि को छंद में लिखकर साहित्य को समृद्ध करने का आह्वान किया। रामायणी राम राजेश ने रामायण के अनेक उदाहरण देकर राम और लक्ष्मण के भ्रातृ-प्रेम का उल्लेख किया, उन्होंने कहा कि लक्ष्मण के बिना राम का अस्तित्व ही निराधार हो जाता है। संस्था अथक के अध्यक्ष पी. आर. साहू ने ऐसे आयोजन को समाजोपयोगी बताकर सम्मान करने के लिए आभार व्यक्त किया । इस पुनीत बेला में उपस्थित समस्त कवियों को सम्मान-पाती, गमछा और श्रीफल से सम्मानित किया गया ।

उपस्थित कवियों में सरस साहित्य समिति गुंडरदेही से शिवकुमार अंगारे केशव साहू ,नवदीप साहित्य समिति अर्जुंदा से गुमान सिंह साहू, डिगेंद्र साहू और श्रवण सोनी, प्रेरणा साहित्य समिति बालोद से श्रीमती संध्या पटेल, एस. एल. गंधर्व, गोरेलाल शर्मा, टिकेश्वर सिन्हा, जयकांत पटेल, पुषण कुमार साहू, रचना साहित्य समिति गुरूर से संपत कलिहारी, चिन्हारी साहित्य समिति से गोपाल दास मानिकपुरी, बेनू राम सेन, देवेंद्र कश्यप, वनांचल साहित्य समिति मोहला से डॉ. इकबाल खान तन्हा के अलावा अशोक देशमुख, ए.के. गुप्ता, के. एल. साहू , टी. के. गजपाल, के.पी. देशमुख, बेणी राम सार्वा, पी. आर. साहू, कवि उमरे के पिता निरंजन उमरे एवं माता श्रीमती नीराबाई एवं दोनों भाई गीतेश उमरे, नीरज उमरे, दादा-दादी, चाचा-चाची, बुआ, उनके पुत्र एवं पूरा उमरे परिवार, साथ ही इष्ट मित्र कोमल चक्रधारी, राजेश सोनवानी, डायमन देशमुख, सूर्यकान्त चंद्राकर, झम्मन देशमुख, संजय साहू, संतोष साहू, जागृत सोनवानी, ओमप्रकाश हिरवानी, हेमलाल हिरवानी, डॉ. युवराज सिन्हा, राजू देवदास, रंजन पंडित, मुरलीधर नागेश परिवार जनों के साथ उपस्थित थे । समस्त अतिथियों एवं वक्ताओं ने छत्तीसगढ़ी में ही अपनी अभिव्यक्ति दी । कार्यक्रम का संचालन सुपरिचित उद्घोषक जयकांत पटेल ने छत्तीसगढ़ी में ही किया । सम्मानित होने के बाद लोक गायिका पूजा देशमुख ने पंडवानी गायन में विराट पर्व को प्रस्तुत कर समा बाँध दिया । उनकी प्रस्तुति, हाव-भाव, गायन प्रतिभा में भविष्य की अनेक संभावनाएँ दिख रही थीं । उनके कला-साधक पिता देवेंद्र देशमुख का भी सम्मान किया गया। सभी अतिथियों को पाटन आर्ट के राम कुमार पटेल द्वारा बनाया गया मोमेंटो से सम्मानित किया गया और अंतिम मे आभार प्रदर्शन कृतिकार डॉक्टर लक्ष्मण उमरे ने किया ।

mirchilaal
Author: mirchilaal

Anil

Leave a Comment

Read More

Read More