
दुर्ग। ग्राम पंचायत अंजोरा ढाबा जहां पर विगत 40 वर्षों से पानी की समस्या से जूझ रहे ग्रामीण इस वर्ष पानी की समस्या ने विकराल रूप ले लिया है। इस ओर शासन प्रशासन और ना ही सरकार ने ध्यान दिया है जिसके चलते ग्रामीणों के पास कोई रास्ता नहीं बचा इस कारण सोमवार से ग्रामीण भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं।

दुर्ग जिले से 18 किलोमीटर दूर 2500 की आबादी वाले ग्राम पंचायत अंजोरा ढाबा के ग्रामीण पानी की समस्या को लेकर जनदर्शन में जाकर अपनी समस्या से अधिकारियों को अवगत कराया था लेकिन समस्या दूर नहीं होने से नाराज ग्रामीण 28 अप्रैल से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं।
छत्तीसगढ़ की सरकार एक तरफ सुशासन तिहार मना कर लोगों से समस्याओं का आवेदन ले रहे हैं और निराकरण करने का दावा कर रहे हैं लेकिन यह दावा कितना धरातल पर है यह देखते ही बन रहा है क्योंकि ग्रामीण आज पेयजल संकट से जूझ रहे हैं जिसके लिए सरकार के पास कई बार आवेदन देने के बाद भी आज तक समस्या का समाधान नहीं हुआ है और आज उनको पानी के लिए भूखा रहना पड़ रहा है तो क्या इस पर सरकार को ध्यान नहीं देना चाहिए।

ग्रामीण महिलाओं ने बताया कि रात 3:00 से उठकर पानी के लिए लाइन लगाना पड़ता है जिसके बाद उन्हें दो बाल्टी तीन बाल्टी पानी मिल पाता है जो की पर्याप्त नहीं होता है स्थिति इतना भयावह है कि तालाब के पानी को छानकर पीने और खाना बनाने में उपयोग किया जा रहा है।
नदी से 3 किलोमीटर दूर गांव
पानी के पास आकर प्यासा की कहावत को चरितार्थ कर रहा है ग्राम पंचायत अंजोरा क्योंकि गांव से मात्र 3 किलोमीटर दूर पर नदी है जहां से पानी की समस्या को दूर किया जा सकता है। लेकिन शासन द्वारा इस ओर आज तक कोई भी पहल नहीं किया गया है, जिसका परिणाम आज पेयजल संकट का विकराल रूप और ग्रामीणों का पानी के लिए भूखा रहना पड़ रहा है।
भूख हड़ताल पर बैठे धर्मेश देशमुख ने बताया कि गांव में कई तालाब और बोर हैं लेकिन पानी का जल स्तर कम होने के कारण सभी तालाब और बोर सूख गए हैं, जिसके चलते पानी की यह समस्या इस वर्ष विकराल रूप ले लिया है उन्होंने बताया कि गांव में 100 एकड़ का बांध है जिस पर अगर शासन प्रशासन द्वारा पानी की व्यवस्था उचित रूप से कर दिया जाए तो अंजोरा ही नहीं उसके आसपास के 20 गांव का जलस्तर बढ़ जाएगा इसके बाद पानी की समस्या कभी नहीं आएगी।
आज भूख हड़ताल पर विशेष रूप से ग्रामीणों में होरिलाल साहू, गोपी निर्मलकर, मुकेश देशमुख, बेनुप्रसाद साहू, सुमरन साहू ,पेमीन साहू, रमसिला साहू, सुशीला देशमुख, महेतरू साहू ,रुमलाल देशमुख, चंद्रशेखर धनकर, विनीत साहू, सेतु सेन,मिथलेश साहू ,मनोज यादव, अजय देशमुख, गजेंद्र साहू ,झावेंद्र देशमुख के साथ सैकड़ो की संख्या में ग्रामीण बैठे थे।

Author: mirchilaal
