

दुर्ग में दलीय राजनीति इस कदर हावी है कि निर्दलीय चुनाव लड़कर आए सरपंच भी दलीय खेमे में बंट गए हैं। हालात यह है कि दलीय निष्ठा में बंटे सरपंचों ने एक ही संगठन के नाम पर अलग-अलग बैठक कर नेताओं का चुनाव कर लिया। खास बात यह है कि दोनों ही खेमें के नेता खुद को वास्तविक संगठन बताते हुए एकजुटता और मिलजुलकर गांवों के विकास का दावा कर रहे हैं।

बता दे कि पहले 13 जून को सरपंचों के एक समूह ने जनपद पंचायत के सभागार में बैठक कर अपने पदाधिकारियों का चुनाव किया। इसमें ग्राम पंचायत मचांदूर के सरपंच युगल किशोर साहू दुर्ग जनपद सरपंच संघ के निर्विरोध अध्यक्ष निर्वाचित किए गए। वहीं ग्राम पंचायत डुमरडीह सरपंच धर्मेन्द्र बंजारे व समोदा सरपंच अरुण गौतम उपाध्यक्ष बनाए गए। इसके साथ ही संघ में अनिल बंजारे खेदामारा को सचिव, सुशील साहू ननकठ्ठी कोषाध्यक्ष, खुमान निषाद कोडिय़ा व कीर्तन साहू कचांदूर मीडिया प्रभारी, दुलारी देशलहरे खम्हरिया कानूनी सलाहकार और जनपद पंचायत दुर्ग उपाध्यक्ष राकेश हिरवानी तथा पूर्व सरपंच नगपुरा भूपेन्द्र रिगरी संघ के संरक्षक बनााय गया।

दूसरे खेमे ने ओमेश्वर का चुनाव अपना अध्यक्ष
इसके जवाब में सरपंचों के दूसरे खेमे ने भी एक दिन बाद पीडब्ल्यूडी के रेस्ट हाउस बैठक कर अपने नेताओं का चुनाव किया। इसमें बोरई के सरपंच ओमेश्वर यादव अध्यक्ष, करगाडीह सरपंच करण सेन उपाध्यक्ष, भटगांव सरपंच दुपेन्द्र देशमुख, सचिव उमरपोटी सरपंच विजेन्द्र साहू, सहसचिव सिरसाखुर्द सरपंच भुनेश्वरी कुर्रे, संगठन सह सचिव सरपंच कुथरेल गीता गजपाल, संगठन सचिव सरपंच खोपली मंजु वर्मा, कोषाध्यक्ष सरपंच निकुम भागवत पटेल, मीडिया प्रभारी सरपंच कातरो जितेन्द्र सोनी, सह मीडिया प्रभारी सरपंच चिरपोटी पूजा चंद्राकर, सह मिडिया प्रभारी सरपंच खम्हरिया दुलारी देशलहरे, कानूनी सलाहकार सरपंच धनोरा रुलेश्वरी बंजारे को बनाया गया।
जनपद से चल रहा कांग्रेस-भाजपा का जोड़तोड़
सरपंचों के खेमेबंदी का असली वजह जनपद पंचायत में चल रहे दलीय मोर्चाबंदी को माना जा रहा है। बता दे कि जनपद पंचायत में भाजपा की बहुमत के बाद भी कांग्रेस ने उपाध्यक्ष की कुर्सी पर कब्जा जमा लिया। इसके बाद से दखल को लेकर दोनों पक्षों में खींचतान चल रहा है। वहीं 15वें वित्त आयोग की राशि के बंटवारे को लेकर विवाद चल रहा है। बताया जा रहा है कि सत्ताधारी दल भाजपा की ओर से संरपंचों को एकजुट कर अपने पसंद से पदाधिकारियों के चुनाव का प्रयास किया गया, लेकिन दूसरे खेमे के सरपंचों ने इंकार कर दिया और अपने नेताओं का चुनाव कर लिया।

Author: mirchilaal
